Wednesday 16 November 2011

शुक्रगुजार

तेरी कृपा का पल पल अहसास कर ,
मैं तेरी शुक्रगुजार हूँ,
देख कर तेरी रहमतें,या रब
तेरी तलबगार हूँ. 

Wednesday 17 August 2011

वक़्त

हर तरफ खुशियाँ हैं 
 हर  तरफ गम .
वक़्त  हमारी झोली में क्या है डालता 
यही देखना है बस हमे 
इसी को  ख़ुशी ख़ुशी
 स्वीकार  भी करना, ही जिंदगी है .

Wednesday 13 July 2011

हादसे

कई लबों से निकली आहें ,
कई आँखों से आंसू बहे .
वो भी किसी माँ के थे बच्चे ,
जो इस हादसे का शिकार हुए .

Saturday 2 July 2011

कशिश

इतनी कशिश तेरे नाम में,
तुझको मिलने  को,जी करता  प्रभु 
सुना है मेरे बुलाने में देर है ,
तेरे आने में देर नहीं
अपनी एक झलक दिखा जा तू ,
मुझ प्यासे की, प्यास बुझा जा तू .
फिक्रमंद  हूँ कि तुझको देखे बिना 
इस दुनिया से ना उठ जाऊं कहीं ..........

Thursday 30 June 2011

इबादत

ये इश्क मोहब्बत की बातें ,
जितनी चाहे कर लो .
एक उम्र तक ही ,
ये कर पाओगे .
हमारी उम्र तक आते आते यारों.
खुद से सवाल करोगे
जवानी तो  य़ू ही गवां दी,
बुदापे  में अब  क्या गुल खिलाओगे   .

या रब, ताउम्र तेरी इबादत थी करनी ,
हम न जागे
ये कह पछताओगे.......

Monday 27 June 2011

मेरी भावनाए

छुईमुई सी नाजुक है
मेर बच्चो, तुम्हारे लिए ,
मेरी भावनाए .
मैं कुछ भी कहूं ,
मंजूर हैं मुझे .
कोई कुछ बुरा कहे ,
ये सह नहीं पाए

Saturday 25 June 2011

वो


किसी को एक नजर देखने के लिए ,
हम तरसते हैं यों
हाय न जाने इस उम्र में 
कैसे दीखते हों वो .
हम तो बहुत बदल गए हैं यारों ,
शायद वो हों ज्यों के त्यों .

 



Friday 24 June 2011

गैर

जिंदगी का पल पल , हंसी ख़ुशी बिताया .
जीवन का हर गीत धुन के साथ गुनगुनाया.
खुशियों  का जाम  भर भर , पिया और पिलाया.
प्रेम बांटा  ,और प्रेरणा का दिया जलाया.
जो कभी अपने न बन सके,
ऐसे गैरों को याद कर कर भुलाया. 

 

Monday 30 May 2011

माँ

बचपन में तेरा सोते  हुए हौले से मुस्कराना ,
किशोरावस्था में नींद में  बडबडाना  और हाथ पैर  मारना.
जवानी में तेरा अकेले में मुस्कराना ,
अब नवेली दुल्हन को छेड़ना और खिलखिलाना.

ये सब देखते हुए जीना ,मेरे माँ होने के अहसास को
कहीं भीतर तक तृप्त कर जाता है.

Monday 16 May 2011

लक्ष्य

रीता रीता सा ये मन ,
रीता रीता ये जीवन ,
एक प्रशनचिंह बन कर रह गया.

क्या है इस जीवन का लक्ष्य
अब तक समझ नहीं आया
कभी लगता है कर लिया
जो करने आये थे
कभी लगता है 
अभी इसका छोर नहीं पाया   

Saturday 30 April 2011

तेरे आसपास.

कभी अकेले में बैठे हुए ये ख्याल आता है
अब से कुछ साल बीत जाने के बाद,
जब मुझे किसी सहारे की जरूरत होगी
तो क्या ये मेरे आस पास होंगे ?
क्या वो मेरी ऊँगली थाम कर ,
मुझे अपने साथ ले कर चलेंगे.
तभी मन के किसी कोने में
आशा की किरण जगमगाती है
कानों में हौले से गुनगुनाती है
अपने ईश्वर और ममता  पर  कर  विश्वास
जरूरत पर वो दोनों ही होंगे
तेरे  आसपास, तेरे आसपास. 

 

Thursday 31 March 2011

प्रेरणा


कुछ भी नया और रचनात्मक करने की 
प्रेरणा आपको किसी न किसी से मिलती है
मेरे प्रेरणास्त्रोत मेरे बच्चे हैं
जो की बहुत अच्छे हैं,बहुत अच्छे हैं. 

Saturday 12 March 2011

जापान


कान्हा जी हम पर कृपा करो
हम तेरी रजा में रहे राजी
जापान का भयंकर ताण्डव देख कर
डर डर जाता है मेरा जी

चाहते हैं सभी
हमारा हर दिन होली हो
और रात दिवाली
प्रभु शक्ति दो उन्हें, काटे वो सब्र से
जिनके लिए आयी रात
दुःख भरी,लम्बी और काली 

Monday 7 March 2011

Happy Women’s Day


मेरी इन टूटी फूटी पंक्तियों में
गहरायी ढूंढने की कोशिश न करियेगा
ये तो केवल जज्बात हैं, उस नारी के
जो अपने को अबला नहीं
बहिन,बेटी,पत्नी और इक माँ
सभी रूपों को, एक साथ जीते हुए
खुद को गर्वित महसूस करती है

Happy Women’s Day

Sunday 6 March 2011

जीवन


हर पल जीवन  का हमें
कुछ न कुछ सिखाता है
कुछ पाते हैं, तो सीखते हैं
कुछ गंवाते हैं, तो  सीखते हैं
इस पाने और गंवाने में
कभी हँसते , कभी रोने गाने में
साल दर साल उम्र कब बीत जाती है
चलता नहीं कुछ पता
उम्र के आखिरी पड़ाव पर पहुँच कर
आता है होश, अरे 
बहुत कुछ ऐसा है
जो हमने सीखा ही नहीं 

Friday 4 March 2011

आखिर क्यों


अपने बच्चों को हमने पढ़ाया, लिखाया
उन्हें आसमाँ में उड़ना सिखाया
हमे विश्वास भी है उन पर
जानते हैं, उनकी दिशा भी सही है
फिर क्यों ये मन उनका पीछा है करता
क्यों क्यों क्यों ?????????
हम क्यों नहीं उस छोटी चिड़िया की तरह
जो एक बार अपने बच्चों को उड़ना सीखा कर
छोड़ देती है, खुले आसमाँ में अकेले विचरने को
क्यों हम हर समय उनका साथ चाहते हैं
क्यों हर समय उन्हें पास चाहते हैं
कहीं हम उनकी बेड़ी तो नहीं बन रहे
हमारी  ये मोह ममता,ये आसक्ति
क्यों कम  नहीं हो रही
क्यों, क्यों, क्यों, आखिर क्यों ?????

Thursday 3 March 2011

संसार


गजब है ये संसार ,अजब है इसका सार

कभी चारों ओर ख़ुशी ही ख़ुशी दिखे
दिल ख़ुशी में हिचकोले खाता फिरे
हर ओर रौशनी और रंगीनियाँ दिखे

और कभी हर ओर दुखों और दर्द का भंडार दिखे
ऐसा लगे जैसे संसार तो दुखों का घर है
ख़ुशी का तो कहीं नमो निशाँ ही नहीं है

बड़े बुजुर्ग सही कहते हैं
संसार मिथ्या है, इसका कोई आसार नहीं है 

Tuesday 1 March 2011

प्रेरणा


कुछ भी नया और रचनात्मक करने की
प्रेरणा हमें किसी न किसी से मिलती है
मेरे प्रेरणा स्त्रोत मेरे बच्चे हैं
हाँ जी हाँ, वो बहुत अच्छे हैं 

हाँ यही प्यार है


क्या है प्यार,
कोशिश की  हमने
जानने की बहुत
जवाँ थे जब,
पर हाय, जान न पाए
कुछ अपने बडों का भय,
कुछ समाज की बंदिशें
प्यार को समझने की,
 हमारी वो ख्वाहिशे
सब बेकार गयी
इस उम्र तक पहुँचते पहुँचते
खूब महसूस भी कर चुकी हूँ, अब इसे
ये दो शरीरों का नहीं
दो आत्माओं का मिलन है
जो  सुख और दुःख की घड़ी में
बढ़ा ही है, कम नहीं हुआ
अपने बुजुर्गों की छत्रछाया में
अपने बच्चों के साथ
हर पल इसे महसूस है किया
हाँ ये प्यार, आज के रूमानी ,
 लफ्फाजी प्यार से
अलग है बहुत
जो आज एक से ,
कल दुसरे से हो जाता है
हो सकता है, आपको ये इक मजाक लगे
पर यही सच्चा प्यार है
जो समय के साथ बढा  और परवान चढ़ा
उम्र के आखिरी पड़ाव तक साथ रहेगा
हाँ यही प्यार है


Monday 28 February 2011

नहीं भूल पाए


पैंतीस चालीस साल पुरानी
 किसी नोटबुक पर लिखी ये पंक्तियाँ
"the day to day contact makes a man near and................
हम आज भी नहीं भूल पाए
किसने लिखी, क्यों लिखी
ये भी नहीं जानते
पर न जाने क्या कशिश है
 इन पंक्तियों में
ये आज भी हमारे दिलो दिमाग पर
पत्थर पर  लकीर की तरह खुदी
क्या है ये सब
हम नहीं जानते
पर हम इन्हे भुला  भी नहीं पाए



Sunday 27 February 2011

यह ही जिंदगी है

..
बहुत अच्छा करते हो यारों
जिंदगी के इन हसीं लम्हों में
जज्बातों को शब्दों में पिरोते हो
गाते, गुनगुनाते,रोते हो
कुछ साल बीत जाने पर
ये जज्बात दर्द बयां करेंगे
कभी इसका दर्द, कभी उसका दर्द
कभी खुद का दर्द
और अगले दस बीस साल बीत जाने पर
उम्र के आखिरी लम्हों का इंतजार
यही जिंदगी है मेरे यार
यह ही जिंदगी है


.