Monday 27 May 2013

नूर

कोयल की कुहू कुहू ,
आम के बौर की भीनी सी खुशबु ,
अमलताश के पीले फूलो की लरियाँ ,
गुलमोहर के लाल लाल फूलो की झरियाँ ,
सुबह की मंद मस्त हवा ,
प्रकृति में रचा  बसा हर ओर तेरा ही नूर है,
प्रभु तेरा ही  नूर सब में भरपूर है. 

याद

जब जब भी तुम याद आते हो ,
अश्क बन कर आँखों से बह जाते हो,
दुनिया बदल गयी हमारी तुम्हारी,
फिर भी न बिसराए जाते हो ,
अश्क बन कर आँखों से बह जाते हो .