Wednesday 31 December 2014

जिद

हमें भी जिद है की दरिया को पार करना है
चलो मिल कर कोई राह तय करते हैं 

Monday 29 December 2014

याद

"उम्र और यादों का 
रिश्ता हो या न हो, 
तुम कल भी याद आते थे, 
तुम आज भी याद आते हो" 

Thursday 18 September 2014

पथ

 रोशन है चिरागों से आगे का पथ तुम्हारा
मत देखो  पीछे याराँ , जहाँ फैला है अँधियारा 

Sunday 7 September 2014

सेहत और मस्ती



याद

                1

रात भर तेरी याद में, हम रोते  रहे
मुहँ पे डाले लिहाफ, तकिया भिगोते रहे
                 
                2
 
दिलों दिमाग की यादों की किताब से
तेरे साथ जो गुजारे, उन लम्हों के पन्नो को फाड़  दूँ
फिर मैं तो इक खुली किताब रह जाऊँगी
जो भी आये, पढ़े, और मस्त हो जाए 

Monday 11 August 2014

पति पत्नी

शादी के इन ३२-३३ वर्षों में
हम पति पत्नी का रिश्ता
 कुछ अजब गजब सा हो गया है
२-३ घंटे साथ बैठते है
तो हो जाती है लड़ाई
गर २-३ घंटो के लिए जुदा  होते हैं
तो सही नहीं जाती तन्हाई …। 

Sunday 10 August 2014

मशक्कत

तुमसे बिछड़ कर जीने के लिए
हमें कितनी मशक्कत करनी पड़ी
अगले जनम में मिलोगे जब
तो छेड़ेंगे  जिक्र इसका सनम 

Wednesday 6 August 2014

हंसी

इस जहाँ से हमारी हंसी न देखी गयी'
वो क्या जाने इस हंसने में क्या राज है 

Tuesday 5 August 2014

खत

भेजते लिखे खत,  जो तेरा पता जानते ,
तुम तो सनम, बिना कुछ कहे  ही चले गए 

Sunday 20 July 2014

जवाँमर्दी

पिछले दिनों जब मै गयी थी मुंबई
मौसम हुआ आशिकाना
झूम के चली हवा
जोर से बरसा पानी

ऊपर फ्लैट से मैंने नीचे देखा
बच्चे और बड़े पानी में भीग रहे थे
मैं भी झट नीचे गयी
कई हाथों ने मुझे पकड़ लिया
किसी ने कहा, दादी गर फिसल गयी
तो मच जाएगा यहाँ कोहराम
किसी दूसरे  ने कहा
दादी ज्यादा भीग गयी
तो हो जाएगा सर्दी और जुखाम

मैंने कहा , न न ऐसा कुछ भी न होगा
मुझे भीगना अच्छा लगता है
जवानी में मैं खूब भीगती थी
 इक प्यारी सी बच्ची बोली
दादी तुम्हारी जवाँमर्दी को सलाम
तभी पीछे से किसी कमबख्त ने कहा
हाय हाय बूढी घोड़ी लाल लगाम

Sunday 13 July 2014

मुंबई

मुंबई का ट्रिप यारो जैसे
 सारा का सारा फुस हो गया
न अमिताभ जी मिलने को आये
न मिली हमे जया

अभिषेक ,ऐश्वर्या को चाहे  न लाते
उनकी छुटकी को ही ले  आते
और नहीं कुछ देते यारों उसको
देते हम अपनी दुआ

हा हा ह हा हा , हा हा ह हा हा

Thursday 3 July 2014

अहसास

यादों के कफ़न को चीर कर
इक ये अहसास आया
जिसने ये विश्वास दिलाया
 है वो मुझमे अब तक समाया 

मेरी तन्हाई

साँझ ढले अकेले में
मैं बैठी शून्य में ताक रही
बीते हुए बरसों की गर्त से
आया एक मीठा सा अहसास
उनके साथ बिताये थे
जो कुछ दिन खास
तभी न जाने कहाँ से
एक बादल आया
और हल्की बूंदे पड़ने लगी
मैंने देखा इधर उधर
कोई न था आस पास
बची थी सिर्फ मैं और मेरी तन्हाई

Saturday 21 June 2014

फासला

तेरे मेरे दर्मियान
इक उम्र का फासला हुआ
मैं तो हूँ वहीँ ,थी जहाँ
 तू है न जाने कहाँ
ख्वाबों ख्यालों में जब
 आता है तू नजर
तेरे ख्याल और मेरे सवाल
बन जाते हैं जैसे इक जाँ 

Wednesday 2 April 2014

बढ़ती उम्र

भावना शून्य हो गया है मानस पटल
बढ़ती उम्र के साथ जीवन जैसे जा रहा बदल
अपेक्षाएँ बढ़ गयी दूसरों से
अभिरुचियाँ सब हो गयीं जैसे ख़त्म
सूना सूना सा होता जा रहा जीवन सकल 

Wednesday 12 March 2014

अभिव्यक्ति

सहज रूप मे कहें
धूप में बाल सफेद यूं ही नहीं किये
गहन रूप में कहें
बढ़ती हुई उम्र के साथ साथ 
व्यक्ति ही नहीं 
व्यक्ति कि अभिव्यक्ति भी 
बदल जाती है 

व्यक्ति

जरा गौर फरमाएं
बचपन, जवानी और बुढ़ापे में,
 बस अंतर है इतना सा
बढ़ती हुई उम्र के साथ साथ,
व्यक्ति  ही नहीं
व्यक्ति की अभिव्यक्ति भी
 बदल जाती  है


Tuesday 4 March 2014

मैं प्यारी

मिठाई खा नहीं सकती
डाईबिटीज  जो है
नमकीन पचा नहीं  सकती
हाई बी. पी. की  है शिकायत
शरीर थोड़ा भारी  है
थाइरॉइड की  बीमारी है
आँखों पर है चश्मा
एक आँख नयी बनवायी है
अब दूसरी आँख की  बारी है
आर्थराइटिस की वजह से
चाल है थोड़ी  टेढ़ी
घुटनों के नखरे जारी  हैं

यारों फिर भी
हूँ पतिदेव कि प्रियतमा प्यारी
मम्मी डैडी की हूँ राजदुलारी
भाइयों कि हूँ बहना न्यारी
बच्चों कि हूँ मॉम  प्यारी

भाड़ में जाएँ बीमारी
मै क्यों  होऊं दुखियारी
जब सब अपनों को हूँ मैं  प्यारी

Wednesday 19 February 2014

कुछ अपनी, कुछ घर की

ये दर्दें,ये तन्हाई
 मेरे हिस्से में आई
गर पतिदेव का साथ न होता
जिंदगी हो जाती रुसवाई
अब आप पूछेंगे
पतिदेव का साथ और तन्हाई
ये बात समझ में न आई
सुनिये  मेरे पतिदेव सेवा तो करते हैं
पर हर समय दूसरे कमरे में, टी.वी.में
 अरविन्द केजरीवाल को देखा करते हैं

Sunday 16 February 2014

सर्द रातें

कब ख़त्म होंगी हाड़  कंपाती ये सर्द रातें
अवसाद भरी लम्बी काली जर्द रातें
 मुझे नहीं भाती  ये ठिठुराती रातें
कुछ धूप निकले, कुछ ठण्ड कम हो जाए
दिल में हो फागुनी हुलारे,बहे फागुनी बयारें
दिन हो उल्लसित , हो मस्त रातें 

Friday 7 February 2014

आया बसंत बहार

आया बसंत बहार सखी री
 आया बसंत बहार
पतझड़ बीता, नव पल्लव आये
धरती ने कीना फूलों से श्रृंगार सखी री
आया बसंत बहार
गेहूँ की  बालियों और आम की बौर से
सौंधी हुई री  बयार सखी री
आया बसंत बहार
प्रकृति ने कीनी फागुन की  अगुआई
तू भी हो जा  तैयार सखी री
आया बसंत बहार 

Wednesday 5 February 2014

बीमार

जुम्मा जुम्मा चार दिन को
हुए रे हम बीमार
जर्जर हुआ शरीर
उम्र अभी ऐसी  बड़ी  तो न थी
लोगों को क्या कहें
वो हमें अम्मा जी कहने लगे

Monday 27 January 2014

छड़ी

हाथ में पकड़ी छड़ी दिखाकर
मेरी बूढी माँ बोली
ये छड़ी नहीं हथियार है मेरा
मैंने तब हंस कर कहा
माँ हथियार नहीं ये श्रृंगार है तेरा 

Thursday 23 January 2014

सर्द रातें

सर्द रातें, हलकी बूंदा बांदी और चले
 जब नश्तर चुभोती बर्फीली हवाएं
कुछ लोग जो गठरी बने सोते हैं फुटपाथों पे
उनके दिलों से निकलती होगी चीत्कार हाय
ऐसे में कहो कैसे गणतंत्र दिवस की  ख़ुशी मनायें  

Sunday 19 January 2014

सर्दी

सर्दी के मौसम में
ठिठुरती काली रातों में
चलती हैं जो सर्द हवाएं
लगता है ऎसे
जैसे कोई विरहणी
याद में प्रियतम की
 सुबक सुबक रो रही
लेकर सर्द आहें   

Thursday 16 January 2014

किरपा

बस इतनी किरपा करना
प्रभु मेरा हाथ थामे रखना
मैं गिरने न पाऊँ  कभी
तुम मुझे सम्भाले रखना
हरदम मेरे अंग संग रहना
मैं भटकने न पाऊँ कभी
 चरणों में समेटे रखना
बस इतनी किरपा करना

Tuesday 7 January 2014

विचार

विचारों की दौड़
 हो जाती है पल में
यहाँ से वहाँ तक,
 ना जाने कहाँ तक
हे रब, कर दो इतनी कृपा,
हो जाए ये स्थिर
केवल तेरे चरणों तक

Sunday 5 January 2014

ओ मेरे साईं

ओ मेरे साईं
ये कैसी उम्र आई
हाल भी बुरे  है
घुटनों के दर्द से
चाल भी बुरे  हैं
सर्द मौसम में करतें हैं
 दिन रात सिकाई 
ओ मेरे साईं
ओ मेरे साईं 

नव वर्ष

बीते वर्ष के दर्दो -गम भूल जाएँ
नव वर्ष में नयी खुशियां मनायें  
आओ हम सब मिल कर 
प्रभु का शुक्राना गायें।