Wednesday 19 February 2014

कुछ अपनी, कुछ घर की

ये दर्दें,ये तन्हाई
 मेरे हिस्से में आई
गर पतिदेव का साथ न होता
जिंदगी हो जाती रुसवाई
अब आप पूछेंगे
पतिदेव का साथ और तन्हाई
ये बात समझ में न आई
सुनिये  मेरे पतिदेव सेवा तो करते हैं
पर हर समय दूसरे कमरे में, टी.वी.में
 अरविन्द केजरीवाल को देखा करते हैं

Sunday 16 February 2014

सर्द रातें

कब ख़त्म होंगी हाड़  कंपाती ये सर्द रातें
अवसाद भरी लम्बी काली जर्द रातें
 मुझे नहीं भाती  ये ठिठुराती रातें
कुछ धूप निकले, कुछ ठण्ड कम हो जाए
दिल में हो फागुनी हुलारे,बहे फागुनी बयारें
दिन हो उल्लसित , हो मस्त रातें 

Friday 7 February 2014

आया बसंत बहार

आया बसंत बहार सखी री
 आया बसंत बहार
पतझड़ बीता, नव पल्लव आये
धरती ने कीना फूलों से श्रृंगार सखी री
आया बसंत बहार
गेहूँ की  बालियों और आम की बौर से
सौंधी हुई री  बयार सखी री
आया बसंत बहार
प्रकृति ने कीनी फागुन की  अगुआई
तू भी हो जा  तैयार सखी री
आया बसंत बहार 

Wednesday 5 February 2014

बीमार

जुम्मा जुम्मा चार दिन को
हुए रे हम बीमार
जर्जर हुआ शरीर
उम्र अभी ऐसी  बड़ी  तो न थी
लोगों को क्या कहें
वो हमें अम्मा जी कहने लगे