Thursday 30 July 2015

पुरवैया

जब दरख्तों से अठखेलियां
 करती है पुरवैया
काले घनघोर बादलों के सीने में
 चमकती है बिजुरिया
पिया तुम याद आते हो
 बहुत जी को तड़पाते हो 

Tuesday 28 July 2015

सितम

जब  तेरी यादों ने मुझे सताया
मैंने मन को जैसे तैसे समझाया
हम दोनों बने नहीं इक दूजे के लिए शायद
रब ने हमे न मिलाया ,तो कौन सा सितम ढाया 

Monday 27 July 2015

दीदारे यार

सुबोह शाम इबादत की
या रब दीदारे यार करा दे  इक बार
वो तो हमे भूल ही गए
रब ने भी सुनी अनसुनी कर दी 

Friday 17 July 2015

बारिश

देखो जी क्या खूबसूरत समां है
काले बादलों से घिरा आसमाँ है
झमाझम पानी भी बरस रहा है
हुआ मन मेरा मैं हँसूँ, खिलखिलाऊ
बारिश में भीगूँ और खूब नहाऊँ
तभी जैसे कोई बादल सा फटा
मेरे पतिदेव ने आवाज लगाई
अजी  सुनती हो,……
मेरी चाय और पकोड़े कहाँ है
हाय रब्बा  क्या खूबसूरत समां है

Sunday 12 July 2015

मॉम

मेर छोटे बेटे अखिल ने मुझे
दो चार बार माता रानी कह कर बुलाया
मैंने उसे यूं समझाया
मेरे जिगर के टुकड़े
शरीर से बूढी हूँ मैं पर
हूँ दिल से अभी जवाँ
तुम मुझे मॉम कहा करो
या कहा करो  मुझे माँ 

Sunday 5 July 2015

डिलीट(delete )

किसी की कही कुछ तीखी तल्ख़ बातें
बन गयी हैं अनचाही यादें
वो वर्षों बाद भी आज
 नश्तर सी चुभती हैं

या रब कुछ ऐसा करम कर दे
जख्मों पर मेरे
 फाया  मरहम का रख दे
मेरी दिल की किताब से
उन यादों को डिलीट(delete ) कर दे