Saturday 29 August 2015

स्याही

कभी जब मैं  तनहा होती हूँ
मेरी यादों की पिटारी खुलती है
तेरी याद दबे पांव  निकलती है
मेरी धड़कन रुक रुक चलती है
न जाने कौन स्याही से
मेरे दिल पर तेरा नाम लिखा
बरसों बाद भी जस का तस
न मिटा न फीका ही पड़ा 

Saturday 15 August 2015

तेरी याद

अपनी कठिनाइयों से, जूझती थक जाती थी
अपनी परेशानियों में, डूबती उतराती थी
तेरी याद से मेरे प्रभु, मन को सहारा मिल गया
बुझा दिया था मन मेरा ,खिले कमल सा खिल गया
तूफानों में भटकी नाव को जैसे किनारा मिल गया
तेरी याद से मेरे प्रभु, मन को सहारा मिल गया

Sunday 9 August 2015

आने वाला कल

आने वाला है कल जो
डरावने मुखौटे पहन
क्यूँ मुझे डरा रहा है
सिहर सिहर जाती हूँ मैं
क्यूँ मुझे सता रहा है
या रब कुछ ऐसा
 करम  कर दे
सोचूँ न उस पल को
 आने वाला है कल जो 

Wednesday 5 August 2015

हर पल

बीमारी के बाद, जिंदगी के
मायने  सब बदल गए मेरे लिए
प्रभु ने कहा, मेरी बच्ची
जीवन के कुछ साल तुझे बोनस में दिए
अब हर पल को भरपूर जीती हूँ मैं
जीना है अनमोल मेरे लिए
ख़ुशी  ख़ुशी जीती हूँ मैं
बसा के प्रभु को हिये
बीमारी के बाद, जिंदगी के
मायने  सब बदल गए मेरे लिए