Sunday 28 February 2016

है जिंदगी

बेहिसाब ग़मों का फ़साना, है जिंदगी
उन्हें अपनों से छिपाना, है जिंदगी
मेरे मुस्कराने पे न जाओ यारों
कई गम ऐसे भी हैं
जिन्हे खुद को भी न बताना, है जिंदगी




To live
is to find measureless pain,
is to hide it from others, to feign
a smile and somehow still mean
when pain's edge is keen.
Translation by dear Akhil katyal 

Monday 22 February 2016

सोच

अपने जवान बेटे को जब माँ ने कुछ समझाया
कुछ अपने जीवन का अनुभव बतलाया

वो बोला ये सब छोड़ो माँ
मुझे जीवन में आगे बढ़ने दो

 जीवन में क्या क्या करना है
मुझे खुद डीसाइड  करने  दो

माँ को ये सब समझ ना आया
उसने खुद को एक दोराहे पर पाया

वो समझ न सकी,
 क़ि  मै दुखी होऊ

 जब बेटे को अपने जीवन में  मेरी कोई जरूरत नहीं
तब मेरे जीने का  क्या अर्थ हुआ

या ये सोच कर खुश होऊं
क़ि बेटा मेरा  अपने निर्णय लेने में  समर्थ हुआ

Wednesday 10 February 2016

सर्दी का मौसम

ये सर्दी का मौसम ,
 बादलों की आवाजाही
साथ में बर्फीली हवा
लगता है जैसे ,बूढी हड्डियों को
 मिल रही हो  कोई सजा 

Saturday 6 February 2016

गुजरा जमाना



आज फिर याद आ रहा है वो गुजरा जमाना

वो बचपन में , बेफिक्री का आलम
वो नाचना वो गाना ,वो हंसना खिलखिलाना
वो मस्त जवानी का बंदिशों का जमाना
छोटे भाई को अंग रक्षक की तरह साथ ले जाकर
वो सहेलियों से मिलने जाना

आज के जमाने से बहुत अलग था,वो हमारे समय का जमाना
शादी के बाद कई दिनों तक , पति से बात करते समय
 लजाना शर्माना , वो रूठना मनाना
पीलीभीत और शाहजहाँपुर में बच्चों और दोस्तों के साथ
वो पिकनिक पर जाना ,खेतों खलिहानों में बात बात में सबका ठहाके लगाना

देहरादून से हर महीने दो महीने में मसूरी का चक्कर लगाना
वो पहाड़ों का खूबसूरत समां, वो बादलों का पास आना
२-४ महीनों में हरिद्वार जाना ,
वो हर की पेढ़ी  पर नहाना ,  मंदिरों के दर्शन करना कराना

लखनऊ में बच्चों को पढ़ाना, उनके साथ समय बिताना
वो वृन्दावन जाकर कई बार , कान्हा के संग होली  मनाना
उनकी मनमोहनी छवि को एकटक देखकर आँखों में बसाना
इस्कॉन मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर ,घंटों हरि धुन में डूब जाना

जानते है ,अब न लौटेगा वो गुजरा जमाना
फिर भी अच्छा लगता है और ऐसा लगता है जैसे
 किसी पुरानी अच्छी फिल्म को दुबारा देखना दिखाना
आज फिर याद आ रहा है वो गुजरा जमाना








Monday 1 February 2016

हाय हाय डायबिटीज

रात सपने में अमिताभ बच्चन जी ने मुझे, अपने हाथों से खिलाई मिठाई
पहले मैंने कुछ ना  नुकुर की, उन्होंने  तब  किया आग्रह
 मैंने  फिर दोनों हाथों से उसे,प्रसाद रूप में लिया,
बहुत चाव से खायी, मैंने वो मिठाई

उठते ही जब ये बात मैंने पतिदेव को बताई
बच्चन जी का नाम सुनते ही
उनका मुँह ऐसा बना,जैसे जली हुई कढ़ाही
मैंने हारी न हिम्मत और गूगल पर सर्च लगायी
अगर सपने में सेलिब्रिटी दिखे तोह, इसका अर्थ क्या होता है भाई
पर उसकी इंग्लिश बहुत मुश्किल थी,मुझे कुछ समझ न आई

तब मैंने अपने प्रोफेसर बेटे को ,इक कॉल लगायी
वो बोला , माँ मैं जरा व्यस्त हूँ ,जो कहना है मैसेज कर दो
मेरे मैसेज करने के एक घंटे के बाद ,उसकी एक लम्बी  ई मेल आई
उसने मुझे फटकार लगायी 
लिखा था ,माँ क्या गजब करती हो ,आपकी  डायबिटीज बढ़ी हुई है
दिन में तो परहेज होता नहीं और आपने सपने में भी खायी मिठाई
अब कसम खा लो, चाहे अमिताभ बच्चन हो या खुद आये कन्हाई
आप नहीं खायेंगी कभी कोई मिठाई, पढ़ कर ये सब मै थोड़ा सकपकाई

अमिताभ जी से मिलने की सारी ख़ुशी ,हो गयी धाराशायी