Thursday 26 May 2016

रिश्ता तेरा मेरा

माना अंतरंग नहीं थे हम दोनों
अलौकिक था रिश्ता तेरा मेरा
अदृश्य रूप में आज भी है जिन्दा वो बंधन
 यादें  करती है  जिसपे बसेरा 

Wednesday 18 May 2016

नाजुक कमर

रीढ़ की हड्डियां मेरी भुर भुराने लगी हैं (degeneration of spine )
वो एक के ऊपर एक आने लगी हैं
एक दूजे से टकराने लगी हैं
हड्डियां गुस्ताख हो गयी हैं इतनी
 आती जाती नसों को दबाने लगी हैं
इससे अंग प्रत्यंग हिल गया है मेरा
नाजुक कमर भी चरमराने लगी है 


Tuesday 17 May 2016

गर्मी

अमलतास के फूलों की लड़ियाँ
गुलमोहर के फूलों की लालिमा
गर्मी की तप्ती दोपहरी में भी
बना  देती है खूबसूरत समां




Friday 13 May 2016

चिड़िया

कभी कभी मन करता है
मैं हलकी फुलकी बन जाऊँ
दोनों हाथो को पंखो की मानिंद फैलाकर
इक चिड़िया सी अनन्त आकाश में उड़ जाऊँ
कभी इधर घूमूँ ,कभी उधर घूमूं
बादलों के भी आर पार आऊँ जाऊँ
ऐसे ही, उस अपरम्पार की सारी  सृष्टि देख आऊँ
ऐसे ही,उस रचनाकार की रचना  में मंडराऊँ

Tuesday 10 May 2016

खबर है सबको

 खबर है सबको
कूच करना है दुनिया से इक रोज
फिर अभी  से ही क्यों  मनहूसियत फैलाए
जब जाना होगा ,चले जाएंगे यारों
आओ अभी तो खुशियों की शमा जलाएं