Wednesday 2 August 2017

चलो फिर थोड़ा आशिकाना हो जाएँ

रात भर बाजार तेरी  यादों का लगाए रहे
सुबह तक आंसुओं की शमा भी जलाये रहे
 शाम ढले तक फिर रहे  बेहोश से
बिन तेरे रात और दिन यूं ही गुजरते रहे
थोड़ी जो बची है  जिंदगी मेरी
कट जाएगी यूँही
कभी हम होश में रहे, कभी बेहोश रहे