Wednesday 25 October 2017

बरसों पहले

बरसों पहले
हिज्र की चोट कुछ ऐसी लगी
दिल पे चुभन उसकी ,  आज भी बाकि है
यादें आज भी सताती है उसकी हमको
 खोल के दिखाए अपना दिल अगर
दिल पे निशाँ उसका,आज भी बाकि है