Wednesday 28 November 2018

HAPPY ANNIVERSARY


प्यार का सौदा

कठपुतली

हर्षोउल्लास


तिरस्कार


90 के दशक के शुरुआती कुछ वर्ष

90 के दशक के शुरुआती कुछ वर्ष
प्यारी सी यादों के साथ, फिर से जीना चाहती हूँ
गंगा पुरम का वो सरकारी फ्लैट ,अंदर बड़ा सा आँगन
 बाहर छोटा लॉन, साथ में सब्जियों का बगीचा
तड़के सुबह बच्चों को स्कूल के लिए
रिक्शे पर बिठा कर,ओस से भीगी घास पर टहलना
आती जाती टहलती टोलियों से दुआ सलाम
 क्यारियों की मेढ़ पर घूम घूम
मौसमी सब्जियों को खजाने सा बटोरना
कभी 5 -6  भिंडी , कभी 2 -4  टमाटर
थोड़ा सा धनिया,2 -4  मूली लेकर भीतर जाना
पतिदेव के ऑफिस जाने के बाद, आँगन में खड़े हो
छत पर खड़ी सखी से घंटो बतियाना
आस पास की पड़ोसिनों का
 हमें हँसते बतियाते देख जल बुझ जाना
बच्चे छोटे थे, चिंता न थी कोई
सादा सा जीवन था, न था कोई दिखावा
हफ्ते में २ दिन लगते बाजार से, ढेरों सब्जियां लाकर
कभी जूस, कभी सूप,कभीआचार और हलवा  बनाना
शाम को कॉलोनी की सखियों संग
पतिदेव के खड़ूस अफसरों  की चुगली लगाना
रिश्तेदार दूर थे,समझो जैसे हलवे में ड्राई फ्रूट भरपूर थे
दिन थे सुहाने, रातें मदमस्त थी
जिंदगी जैसे पूरी अलमस्त थी
चाहती हूँ जीना फिर उन्ही वर्षों को
 पर जानती हूँ ये भी
गुजरा हुआ जमाना, आता नहीं दोबारा
प्रभु शुक्रिया तुम्हारा, दाता शुक्रिया तुम्हारा