कभी अकेले में बैठे हुए ये ख्याल आता है
अब से कुछ साल बीत जाने के बाद,
जब मुझे किसी सहारे की जरूरत होगी
तो क्या ये मेरे आस पास होंगे ?
क्या वो मेरी ऊँगली थाम कर ,
मुझे अपने साथ ले कर चलेंगे.
तभी मन के किसी कोने में
आशा की किरण जगमगाती है
आशा की किरण जगमगाती है
कानों में हौले से गुनगुनाती है
अपने ईश्वर और ममता पर कर विश्वास
जरूरत पर वो दोनों ही होंगे
तेरे आसपास, तेरे आसपास.
तेरे आसपास, तेरे आसपास.