SUNITA KATYAL POETRY
Wednesday, 16 November 2011
शुक्रगुजार
तेरी कृपा का पल पल अहसास कर ,
मैं तेरी शुक्रगुजार हूँ,
देख कर तेरी रहमतें,या रब
तेरी तलबगार हूँ.
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