SUNITA KATYAL POETRY
Tuesday, 14 August 2012
नाव
जिंदगी की नाव, मेरी संसार रूपी पानी में रहे
नाव पानी में हो, पर पानी नाव में न हो
या रब, कर दो हम पर इतना करम
इस संसार में मैं रहूँ, पर संसार मुझ में न हो
मेरे मन में सिर्फ तू हो, या रब तू ही तू हो
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