SUNITA KATYAL POETRY
Sunday, 22 June 2014
बरकत
Saturday, 21 June 2014
फासला
तेरे मेरे दर्मियान
इक उम्र का फासला हुआ
मैं तो हूँ वहीँ ,थी जहाँ
तू है न जाने कहाँ
ख्वाबों ख्यालों में जब
आता है तू नजर
तेरे ख्याल और मेरे सवाल
बन जाते हैं जैसे इक जाँ
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