SUNITA KATYAL POETRY
Saturday, 2 July 2011
कशिश
इतनी कशिश तेरे नाम में,
तुझको मिलने को,जी करता प्रभु
सुना है मेरे बुलाने में देर है ,
तेरे आने में देर नहीं
अपनी एक झलक दिखा जा तू ,
मुझ प्यासे की, प्यास बुझा जा तू .
फिक्रमंद हूँ कि तुझको देखे बिना
इस दुनिया से ना उठ जाऊं कहीं ..........
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