Sunday, 23 September 2012
Tuesday, 18 September 2012
शुकराना
भोर में चिड़ियों का चहचहाना
उषा की किरण का हौले से कमरे में घुस आना
फूलों का खिलना और भोरों का गुनगुनाना
बारिश की रिमझिम और मौसम सुहाना
चांदनी रात में तारों का टिमटिमाना
बच्चो की किलकारी और जवानी का ठहाका लगाना
ये सब याद कर के मेरा मुस्कराना
इस बढती उम्र में बुढ़ापे से क्या खौफ खाना
तेरी कृपा है, ए रब ,तेरा शुकराना
उषा की किरण का हौले से कमरे में घुस आना
फूलों का खिलना और भोरों का गुनगुनाना
बारिश की रिमझिम और मौसम सुहाना
चांदनी रात में तारों का टिमटिमाना
बच्चो की किलकारी और जवानी का ठहाका लगाना
ये सब याद कर के मेरा मुस्कराना
इस बढती उम्र में बुढ़ापे से क्या खौफ खाना
तेरी कृपा है, ए रब ,तेरा शुकराना
Tuesday, 11 September 2012
तेरा दीदार
ये समां बेरौनक सा है क्यूँ
आखें डबडबाइ सी है क्यूँ
सुना है ज़र्रे ज़र्रे में तेरा अक्स है
मुझे फिर दिखाई देता नहीं क्यूँ
गर इक बार दीदार
जो तेरा हो जाए
संसार मन का हो जाए रंगीन
पर ऐसा मेरे साथ होता नहीं क्यूँ
आखें डबडबाइ सी है क्यूँ
सुना है ज़र्रे ज़र्रे में तेरा अक्स है
मुझे फिर दिखाई देता नहीं क्यूँ
गर इक बार दीदार
जो तेरा हो जाए
संसार मन का हो जाए रंगीन
पर ऐसा मेरे साथ होता नहीं क्यूँ
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