SUNITA KATYAL POETRY
Sunday, 10 August 2014
मशक्कत
तुमसे बिछड़ कर जीने के लिए
हमें कितनी मशक्कत करनी पड़ी
अगले जनम में मिलोगे जब
तो छेड़ेंगे जिक्र इसका सनम
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