Thursday, 18 September 2014

पथ

 रोशन है चिरागों से आगे का पथ तुम्हारा
मत देखो  पीछे याराँ , जहाँ फैला है अँधियारा 

Sunday, 7 September 2014

सेहत और मस्ती



याद

                1

रात भर तेरी याद में, हम रोते  रहे
मुहँ पे डाले लिहाफ, तकिया भिगोते रहे
                 
                2
 
दिलों दिमाग की यादों की किताब से
तेरे साथ जो गुजारे, उन लम्हों के पन्नो को फाड़  दूँ
फिर मैं तो इक खुली किताब रह जाऊँगी
जो भी आये, पढ़े, और मस्त हो जाए