SUNITA KATYAL POETRY
Thursday, 18 September 2014
पथ
रोशन है चिरागों से आगे का पथ तुम्हारा
मत देखो पीछे याराँ , जहाँ फैला है अँधियारा
Sunday, 7 September 2014
सेहत और मस्ती
याद
1
रात भर तेरी याद में, हम रोते रहे
मुहँ पे डाले लिहाफ, तकिया भिगोते रहे
2
दिलों दिमाग की यादों की किताब से
तेरे साथ जो गुजारे, उन लम्हों के पन्नो को फाड़ दूँ
फिर मैं तो इक खुली किताब रह जाऊँगी
जो भी आये, पढ़े, और मस्त हो जाए
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