SUNITA KATYAL POETRY
Thursday, 18 September 2014
पथ
रोशन है चिरागों से आगे का पथ तुम्हारा
मत देखो पीछे याराँ , जहाँ फैला है अँधियारा
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment