अपने जवान बेटे को जब माँ ने कुछ समझाया
कुछ अपने जीवन का अनुभव बतलाया
वो बोला ये सब छोड़ो माँ
मुझे जीवन में आगे बढ़ने दो
जीवन में क्या क्या करना है
मुझे खुद डीसाइड करने दो
माँ को ये सब समझ ना आया
उसने खुद को एक दोराहे पर पाया
वो समझ न सकी,
क़ि मै दुखी होऊ
जब बेटे को अपने जीवन में मेरी कोई जरूरत नहीं
तब मेरे जीने का क्या अर्थ हुआ
या ये सोच कर खुश होऊं
क़ि बेटा मेरा अपने निर्णय लेने में समर्थ हुआ
कुछ अपने जीवन का अनुभव बतलाया
वो बोला ये सब छोड़ो माँ
मुझे जीवन में आगे बढ़ने दो
जीवन में क्या क्या करना है
मुझे खुद डीसाइड करने दो
माँ को ये सब समझ ना आया
उसने खुद को एक दोराहे पर पाया
वो समझ न सकी,
क़ि मै दुखी होऊ
जब बेटे को अपने जीवन में मेरी कोई जरूरत नहीं
तब मेरे जीने का क्या अर्थ हुआ
या ये सोच कर खुश होऊं
क़ि बेटा मेरा अपने निर्णय लेने में समर्थ हुआ
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