अर्से बाद
न आना था नींद को ,आयी न रात भर
न जाने हुआ कुछ ऐसा ख़ास, आज रात को
चैन नहीं इस करवट, चैन नहीं उस करवट
उथल पुथल बिस्तर पर, करवटें बदलते रहे
अधखुली आँखे करती रही इन्तेजार, रात भर
उमड़ घुमड़ विचारों ने, रोके रखा रास्ता नींद का
न आना था नींद को ,आयी न रात भर
कभी इधर, कभी उधर,तकिये बदलते रहे
अर्से बाद
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