तरसना नहीं है
तड़पना नहीं है
सहनशीलता को तुम अपना लो
चम्बा, डलहौज़ी
रानीखेत हो या कौसानी
तुम्हारे हिल स्टेशन घूमने के दिन
चुक गए सुनीता जी
अब या तो स्पेशलिस्ट डॉ. के
चक्कर लगाओ
या बंद कमरे में ए. सी.में बैठकर
राम नाम गाओ
हरी नाम गाओ
सुकून, सुकून, सुकून चाहिए
मुझे दिलो दिमाग पुरसुकून चाहिए
कोशिश है की न हो मुझसे नजरंदाज कोई
उम्मीदें किसी से भी करती नहीं हूँ
माना कि, तारीफ़ नहीं है हाथ की लकीरों में
पर किसी से रुसवाई भी तो नहीं चाहिए
सुकून, सुकून, सुकून चाहिए
मुझे दिलो दिमाग पुरसुकून चाहिए