SUNITA KATYAL POETRY
Thursday, 30 June 2011
इबादत
ये इश्क मोहब्बत की बातें ,
जितनी चाहे कर लो .
एक उम्र तक ही ,
ये कर पाओगे .
हमारी उम्र तक आते आते यारों.
खुद से सवाल करोगे
जवानी तो य़ू ही गवां दी,
बुदापे में अब क्या गुल खिलाओगे .
या रब, ताउम्र तेरी इबादत थी करनी ,
हम न जागे
ये कह पछताओगे.......
2 comments:
Akhil Katyal
14 July 2011 at 17:48
जवानी तो य़ू ही गवां दी,
बुदापे में अब क्या गुल खिलाओगे
hahahhaha!
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Shalini Sharma
21 July 2011 at 06:03
:) delightful
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जवानी तो य़ू ही गवां दी,
ReplyDeleteबुदापे में अब क्या गुल खिलाओगे
hahahhaha!
:) delightful
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