जब मेरा बेटा ब्याहाया
वो मेरे लिए बहु नहीं बेटी लाया
वो ठुमक ठुमक जब चलती है
पायल तब रुन झुन बजती है
मेरा घर-आँगन खिल जाता है
वो जब सजती संवरती है
वो जब खिल खिल हंसती है
मेरा तन मन खुश हो जाता है
प्रभु तेरा शुकराना है
तूने दिया मुझे नजराना है
वो मेरे लिए बहु नहीं बेटी लाया
वो ठुमक ठुमक जब चलती है
पायल तब रुन झुन बजती है
मेरा घर-आँगन खिल जाता है
वो जब सजती संवरती है
वो जब खिल खिल हंसती है
मेरा तन मन खुश हो जाता है
प्रभु तेरा शुकराना है
तूने दिया मुझे नजराना है
love this poem! bhabhi will be so happy :) and love the new look of the blog :) yay.
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