जरा गौर फरमाएं
बचपन, जवानी और बुढ़ापे में,
बस अंतर है इतना सा
बढ़ती हुई उम्र के साथ साथ,
व्यक्ति ही नहीं
व्यक्ति की अभिव्यक्ति भी
बदल जाती है
बचपन, जवानी और बुढ़ापे में,
बस अंतर है इतना सा
बढ़ती हुई उम्र के साथ साथ,
व्यक्ति ही नहीं
व्यक्ति की अभिव्यक्ति भी
बदल जाती है
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