बच्चों से अपने विचारों में,
मतभेद को देखकर
कभी कभी मैं सोचा करती
क्या उन्हें संस्कार मैंने दिए हैं यही
पर अपनी बीमारी के दौरान
यही सोच मेरी बदल गयी
बच्चों ने मेरी बहुत सेवा की
जिस छोटे को मैं
लापरवाह समझती थी
उसने रात रात भर जाग कर
हॉस्पिटल में ड्यूटी दी
आया समझ में मुझे तभी
बच्चों को संस्कार देने में
मैंने कोई गलती की नहीं
विचारों का मतभेद तो है केवल
दो पीढ़ियों के सोचने के
ढंग का अंतर ही
मतभेद को देखकर
कभी कभी मैं सोचा करती
क्या उन्हें संस्कार मैंने दिए हैं यही
पर अपनी बीमारी के दौरान
यही सोच मेरी बदल गयी
बच्चों ने मेरी बहुत सेवा की
जिस छोटे को मैं
लापरवाह समझती थी
उसने रात रात भर जाग कर
हॉस्पिटल में ड्यूटी दी
आया समझ में मुझे तभी
बच्चों को संस्कार देने में
मैंने कोई गलती की नहीं
विचारों का मतभेद तो है केवल
दो पीढ़ियों के सोचने के
ढंग का अंतर ही
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