SUNITA KATYAL POETRY
Monday, 1 June 2015
रिश्ते
रिश्तों की माला को टूटने न देना
टूटे हुए मनकों को फिर से पिरो लेना
कोई ख़ुशी हो या हो खराब तबियत
समझ आती है तब रिश्तों की अहमियत
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