किसी की कही कुछ तीखी तल्ख़ बातें
बन गयी हैं अनचाही यादें
वो वर्षों बाद भी आज
नश्तर सी चुभती हैं
या रब कुछ ऐसा करम कर दे
जख्मों पर मेरे
फाया मरहम का रख दे
मेरी दिल की किताब से
उन यादों को डिलीट(delete ) कर दे
बन गयी हैं अनचाही यादें
वो वर्षों बाद भी आज
नश्तर सी चुभती हैं
या रब कुछ ऐसा करम कर दे
जख्मों पर मेरे
फाया मरहम का रख दे
मेरी दिल की किताब से
उन यादों को डिलीट(delete ) कर दे
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