Thursday, 30 July 2015

पुरवैया

जब दरख्तों से अठखेलियां
 करती है पुरवैया
काले घनघोर बादलों के सीने में
 चमकती है बिजुरिया
पिया तुम याद आते हो
 बहुत जी को तड़पाते हो 

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