बरसों पहले
हिज्र की चोट कुछ ऐसी लगी
दिल पे चुभन उसकी , आज भी बाकि है
यादें आज भी सताती है उसकी हमको
खोल के दिखाए अपना दिल अगर
दिल पे निशाँ उसका,आज भी बाकि है
हिज्र की चोट कुछ ऐसी लगी
दिल पे चुभन उसकी , आज भी बाकि है
यादें आज भी सताती है उसकी हमको
खोल के दिखाए अपना दिल अगर
दिल पे निशाँ उसका,आज भी बाकि है
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