SUNITA KATYAL POETRY
Tuesday, 19 November 2013
गेसू
मेरे अधखुले से गेसू ,हवा में ऐसे उड़ें
जैसे कर रहे हो, इंतजार किसी का
उसे न आना था, वो न आया अब तक
रहता है अब भी , होंठों पर नाम उसी का
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