SUNITA KATYAL POETRY
Sunday, 24 November 2013
आहटें
बहुत कोशिश से रोकी अपनी मुस्कराहटें
सुनी जब उनकी दबी दबी सी आहटें
रुख से हटाया उन्होंने जब पर्दा
होने लगीं हम दोनों में सुगबुगाहटें
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