Monday, 27 January 2014

छड़ी

हाथ में पकड़ी छड़ी दिखाकर
मेरी बूढी माँ बोली
ये छड़ी नहीं हथियार है मेरा
मैंने तब हंस कर कहा
माँ हथियार नहीं ये श्रृंगार है तेरा 

Thursday, 23 January 2014

सर्द रातें

सर्द रातें, हलकी बूंदा बांदी और चले
 जब नश्तर चुभोती बर्फीली हवाएं
कुछ लोग जो गठरी बने सोते हैं फुटपाथों पे
उनके दिलों से निकलती होगी चीत्कार हाय
ऐसे में कहो कैसे गणतंत्र दिवस की  ख़ुशी मनायें  

Sunday, 19 January 2014

सर्दी

सर्दी के मौसम में
ठिठुरती काली रातों में
चलती हैं जो सर्द हवाएं
लगता है ऎसे
जैसे कोई विरहणी
याद में प्रियतम की
 सुबक सुबक रो रही
लेकर सर्द आहें   

Thursday, 16 January 2014

किरपा

बस इतनी किरपा करना
प्रभु मेरा हाथ थामे रखना
मैं गिरने न पाऊँ  कभी
तुम मुझे सम्भाले रखना
हरदम मेरे अंग संग रहना
मैं भटकने न पाऊँ कभी
 चरणों में समेटे रखना
बस इतनी किरपा करना

Tuesday, 7 January 2014

विचार

विचारों की दौड़
 हो जाती है पल में
यहाँ से वहाँ तक,
 ना जाने कहाँ तक
हे रब, कर दो इतनी कृपा,
हो जाए ये स्थिर
केवल तेरे चरणों तक

Sunday, 5 January 2014

ओ मेरे साईं

ओ मेरे साईं
ये कैसी उम्र आई
हाल भी बुरे  है
घुटनों के दर्द से
चाल भी बुरे  हैं
सर्द मौसम में करतें हैं
 दिन रात सिकाई 
ओ मेरे साईं
ओ मेरे साईं 

नव वर्ष

बीते वर्ष के दर्दो -गम भूल जाएँ
नव वर्ष में नयी खुशियां मनायें  
आओ हम सब मिल कर 
प्रभु का शुक्राना गायें।