Wednesday, 25 October 2017

बरसों पहले

बरसों पहले
हिज्र की चोट कुछ ऐसी लगी
दिल पे चुभन उसकी ,  आज भी बाकि है
यादें आज भी सताती है उसकी हमको
 खोल के दिखाए अपना दिल अगर
दिल पे निशाँ उसका,आज भी बाकि है 

Wednesday, 2 August 2017

चलो फिर थोड़ा आशिकाना हो जाएँ

रात भर बाजार तेरी  यादों का लगाए रहे
सुबह तक आंसुओं की शमा भी जलाये रहे
 शाम ढले तक फिर रहे  बेहोश से
बिन तेरे रात और दिन यूं ही गुजरते रहे
थोड़ी जो बची है  जिंदगी मेरी
कट जाएगी यूँही
कभी हम होश में रहे, कभी बेहोश रहे

Sunday, 14 May 2017

बिजी

एक चिंता ,भीतर ही भीतर
 खाये जा रही है
किसके सहारे ,
 कटेगा बुढ़ापा हमारा
 नयी पीढ़ी तो  यारों
बिजी बहुत है


Saturday, 13 May 2017

राम नाम गाओ

तरसना नहीं है
तड़पना  नहीं है
सहनशीलता को तुम अपना लो
चम्बा, डलहौज़ी
रानीखेत हो या कौसानी
तुम्हारे हिल स्टेशन घूमने के दिन
 चुक गए सुनीता जी
अब या तो स्पेशलिस्ट डॉ. के
चक्कर लगाओ
या बंद कमरे में ए. सी.में बैठकर
राम नाम गाओ
हरी नाम गाओ  

Thursday, 11 May 2017

सुकून

सुकून, सुकून, सुकून चाहिए
मुझे दिलो दिमाग पुरसुकून चाहिए
कोशिश है की न हो मुझसे नजरंदाज कोई
उम्मीदें  किसी से भी करती नहीं हूँ
माना  कि, तारीफ़ नहीं है हाथ की लकीरों में
पर किसी से रुसवाई भी तो  नहीं चाहिए
सुकून, सुकून, सुकून चाहिए 
मुझे दिलो दिमाग पुरसुकून चाहिए

Sunday, 26 March 2017

उदासियाँ

अपनी उदासियों को मुस्कराहटों के परदे  में छिपाकर
 बढ़ती उम्र का वास्ता दे, औरो को नसीहतें देना है आसाँ
तुम ही बताओ, किसे बताएं अपनी उदासियाँ
यहाँ तो हर शख्श, अपनी ही परेशानियों से है हैराँ और पशेमाँ 

Tuesday, 14 February 2017

अर्से बाद

अर्से बाद
 न जाने हुआ कुछ ऐसा ख़ास, आज रात को 

चैन नहीं इस करवट, चैन नहीं उस करवट 
उथल पुथल बिस्तर पर, करवटें बदलते रहे 

अधखुली आँखे करती रही इन्तेजार, रात भर 
उमड़ घुमड़ विचारों ने, रोके रखा रास्ता नींद का 

न आना था नींद को ,आयी न रात भर 
कभी इधर, कभी उधर,तकिये बदलते रहे 

अर्से बाद