आज राखी के दिन बैठी
कुछ तनहा सी
मन बहुत पीछे चला गया
1964 में शायद ,मेरा छोटा भाई
नया नया स्कूल जाने लगा था
कई बार किसी बात पर रोते रोते
मेरी कक्षा में आकर
मुझसे चिपक कर बैठ जाता
फिर उसे समझा बुझा कर
उसकी कक्षा में भेजा जाता
1968 की बातें याद कर
मैं खुद ही अकेले मुस्कराने लगी
मेरा सबसे छोटा भाई
जो तब नर्सरी में था
कक्षा में नेकर गन्दी कर, रोने लगता
आया से साफ़ नहीं कराता
फिर मुझे वहां बुलाया जाता
आज दोनों भाई हैं इंजीनियर
दोनों ही बहुत बड़े ओहदों पर
दोनों का अपना भरा पूरा परिवार
पर मेरी निगाहें आज भी उनमे
अपने उन्ही भाइयों को ढूंढ़ती है
जो मुझसे लड़ते झगड़ते थे
पर मेरे बिना इक पल भी
रह नहीं पाते थे
अब तो रब से दुआ है बस
वो जहाँ रहे ,खुश रहे
कुछ तनहा सी
मन बहुत पीछे चला गया
1964 में शायद ,मेरा छोटा भाई
नया नया स्कूल जाने लगा था
कई बार किसी बात पर रोते रोते
मेरी कक्षा में आकर
मुझसे चिपक कर बैठ जाता
फिर उसे समझा बुझा कर
उसकी कक्षा में भेजा जाता
1968 की बातें याद कर
मैं खुद ही अकेले मुस्कराने लगी
मेरा सबसे छोटा भाई
जो तब नर्सरी में था
कक्षा में नेकर गन्दी कर, रोने लगता
आया से साफ़ नहीं कराता
फिर मुझे वहां बुलाया जाता
आज दोनों भाई हैं इंजीनियर
दोनों ही बहुत बड़े ओहदों पर
दोनों का अपना भरा पूरा परिवार
पर मेरी निगाहें आज भी उनमे
अपने उन्ही भाइयों को ढूंढ़ती है
जो मुझसे लड़ते झगड़ते थे
पर मेरे बिना इक पल भी
रह नहीं पाते थे
अब तो रब से दुआ है बस
वो जहाँ रहे ,खुश रहे
No comments:
Post a Comment