समाज में रहकर समाज से क्यूँ नहीं लड़ना ?
मुझसे ये प्रश्न क्यूं बार बार है किया जाता?
दिल मेरा है घबराता
ये प्रश्न रात रात भर है जगाता
क्यूं मुझ पर विश्वाश नहीं है किया जाता?
समाज मे तो उसके अनुसार ही रहना होगा
छोटों और बड़ों को लिये साथ चलना होगा
चाहे इसे समझौता कहो या कहो मेरी मजबूरी
मुझे यहीं जीना और है यही मरना
मुझसे बागी नहीं बना जाता
समाज मे रहकर समाज से क्यूं नहीं लड़ना ?
मुझसे ये प्रश्न क्यूं बार बार है किया जाता?
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