SUNITA KATYAL POETRY
Saturday, 5 October 2013
परेशानी
परेशानियों में घिरी हूँ मैं ऐसे
सागर के बीच छोटा सा टापू
चारों ओर थपेड़े खा रहा हो लहरों से जैसे
देख रही हूँ अकेली खड़ी चारों ओर
परेशानी रूपी सागर का ना दिख रहा कोई छोर
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