इन दिनों उखड़ा उखड़ा सा है मन
घिरे हैं दुनिया की उलझनों से ऐसे
दिख रहा है चारों और गम ही गम
उनसे जो की थी उम्मीदें वफ़ा
वो हो गये हमसे न जाने क्युँ खफा
सुन लेते हैं वो दुनिया में सबकी
हम कुछ भी कहना चाहें
तो कर देते हैं हमें दूर से ही दफा
घिरे हैं दुनिया की उलझनों से ऐसे
दिख रहा है चारों और गम ही गम
उनसे जो की थी उम्मीदें वफ़ा
वो हो गये हमसे न जाने क्युँ खफा
सुन लेते हैं वो दुनिया में सबकी
हम कुछ भी कहना चाहें
तो कर देते हैं हमें दूर से ही दफा
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