
इसमें लिखने से ज्यादा सुनाने का दिल करता है
अभी हमारी कविताएँ जरा मध्यम स्तर की हैं
तो रिश्तेदारों को पकड़ कर सुनाते हैं
बाहर वालों की घेराबंदी अभी नहीं कर पाते हैं
कल रात हमारे साथ कुछ गजब ही हो गया
अमिताभ बच्चन जी सपने में हमारे घर आये
बोले, मैडम सुना है, आप बहुत अच्छी कवितायेँ लिखती हैं
जरा हमें भी सुनाइए
हम न झिझके, न शरमाये
पूछा, आप ठंडा या गर्म कुछ लेंगे
वो बोले, फोर्मेलटी न करें, बस शुरू हो जाएँ
हम उन्हें एक के बाद एक कवितायेँ सुनाते रहे
वो बीच बीच में मुस्कराते रहे
अचानक मेरे पतिदेव ने मुझे झकझोरा
बोले, कब तक सोओगी , दोपहर होने को आई
मैंने इधर उधर देखा और कहा
अये हये ये क्या किया, सब बिगाड़ दिया
अच्छी भली बच्चन जी को कविताये सुना रही थी
अच्छा अब बैठो,बाकी की कवितायेँ तुम सुनो
ये जल्दी से रसोई की ओर भागे
जाते जाते बोले,तुम्हारे लिए चाय बनाता हूँ
जल्दी से उठ आओ
मैं मन मसोस कर रह गयी , क्या करती
उठी और हाथ मुहँ धोने लगी
आप इसे मेरी आवाज में you tube पर भी सुन सकते है
'Amitabh Bachchan' - A poem by Sunita Katyal
https://www.youtube.com/watch?v=n8anrp8v3Kc
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