स्वर्गीय ज्ञानी संत मसकीन जी को समर्पित
1
होनी तो हो कर रहे, अनहोनी न होय
चिंता उसकी कीजिये, जो अनहोनी होय
2
भूत काल की यादें,
होती हैं कब्र की तरह
और भविष्य की चिंताएँ,
होती है चिता समान
वर्तमान में जीना सीख ले बन्दे
तू बन जायेगा भगवान
3
जानता है तू, वर्तमान क्या है
वर्तमान एक दम है जो अंदर गया,
जो दम बाहर चला गया, वो भूतकाल
जो दम आएगा, वो भविष्य होगा
इसलिए ऐ बन्दे मन को वर्तमान में
टिका कर जीना सीख
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