फुरसत के किन्ही लम्हों मे
करने लगी बीते दिनों को याद मैं
वो बच्चों का साथ, वो घूमना फिरना
वो पिकनिक मनाना, वो लुत्फ उठाना
अचानक वो लोग भी याद आ गये
जिनके साथ हम मिल जुल कर मौज मनाते थे
जो अब इस दुनिया से ले चुके विदा
दिल मेरा दुखी हो गया
अपने मन को मैने वहां से हटाया
और अपने भविष्य पर टिकाया
पर ये क्या भविष्य का सोचते ही
भगवान कृष्ण का विराट रूप याद आ गया
ऐसा लग रहा था जैसे सारे नाते रिश्तेदार
एक एक कर उनके मुंह मे समा रहे हैं
घबरा गयी मैं, मेरा सिर चकराने लगा
मैने अपना ध्यान वहां से भी हटाया
और अपने वर्तमान पर टिकाया
ये क्या,वर्तमान की सोचते ही
मुझे अपना शरीर याद आया
जो इस समय बीमारियों और दर्दों से घिरा है
मैं बैचैन हो उठी
राम राम और गायत्री मंत्र जपने लगी
धीरे धीरे हल्का हुआ मेरा दिलोदिमाग
मैं हुई शांत
फुरसत के लम्हों ने
उम्र के इस पड़ाव पर
ये सिखाया सबक
केवल ईश्वर ही वो हस्ती है
जिसके नाम मे मस्ती है