शाम ढले आसमां में देखी इक छटा
इक ओर डूबते सूरज की फैली लालिमा
दूजी ओर छायी गहरी काली घटा
ये देख मन में विचार आया
यही है संसार की भी सच्चाई
इक ओर सुख और खुशियाँ
दूजी ओर दुःख, तकलीफ और तन्हाई
इक ओर डूबते सूरज की फैली लालिमा
दूजी ओर छायी गहरी काली घटा
ये देख मन में विचार आया
यही है संसार की भी सच्चाई
इक ओर सुख और खुशियाँ
दूजी ओर दुःख, तकलीफ और तन्हाई
No comments:
Post a Comment