SUNITA KATYAL POETRY
Sunday, 8 September 2013
साथ
हम से तेरा साथ क्या छूटा
जैसे सारा जहाँ छूट गया
कहते हैं शायद इसी को बेबसी
जिन्दा हैं, पर दिल हमारा टूट गया
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