Monday, 16 September 2013

प्यारी सी बच्ची

इक रात ख्वाब  में देखा मैंने
प्यारी सी बच्ची गुलाबी  फ्राक में
मेरे कान में फुसफुसाई
बोली, माँ तेरी दुनिया में बच्चियों के साथ
 जो अत्याचार हो रहा है
मुझे उससे लगता है डर
मैं नहीं आना चाहती वहां
मैंने कहा, तुझे डरने की जरूरत नहीं
तू दुर्गा, काली  रूप में आ
इन महिषासुरों और रक्तबीजों को मिटा
या अपनी व्येक्तिक पहचान लिए आ
हम कोशिश करेंगे
 इस समाज की सोच को बदलने की
तू आ बेटी आ ,बिलकुल न घबरा
आ, आ करते ही मेरी नींद खुल गयी
करने लगी विचार मैं
2 -4 जालिमों को फांसी देने से
 बच्चियों के साथ होता
अत्याचार नहीं रुकेगा
 उन्हें खुद को जालिमों
से बचाने के लिए समर्थ बनाना होगा
समाज की सोच बदलनी होगी
 बच्चियों का साथ निभाना होगा

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