SUNITA KATYAL POETRY
Sunday, 22 September 2013
फुर्सत
जब गृहस्थी नयी थी
तोह फुर्सत नहीं थी
अब बच्चे बाहर हैं
खुश हैं, व्यस्त हैं
यारा हम अपनी
फुर्सत में मस्त हैं
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