SUNITA KATYAL POETRY
Sunday, 11 August 2013
सजना
दिल पे पड़े तेरी यादों के निशां
चाहूँ छुपाना, इसे कैसे छुपाऊँ
समझ न आये, इसे कैसे मिटाऊँ
सजना,सजना
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