सागर किनारे मैं बैठी
आती जाती लहरों को देख रही
कुछ लहरें दूर से ही चली जातीं
कुछ पास आकर मुझे भिगो जातीं
ऐसे ही प्रिय तुम्हारी यादें
कभी दूर से ही निकल जातीं
कभी पास आकर मुझे रुला जातीं
आती जाती लहरों को देख रही
कुछ लहरें दूर से ही चली जातीं
कुछ पास आकर मुझे भिगो जातीं
ऐसे ही प्रिय तुम्हारी यादें
कभी दूर से ही निकल जातीं
कभी पास आकर मुझे रुला जातीं
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