महीनों और मौसम से सम्बन्धित कुछ पंजाबी मुहावरे जो हमारे बुजुर्गों की देन हैं.......
1 - जेठ, हाड़
तप्पन पहाड़
(जेठ और आषाढ़ के महीनों में पहाड़ भी गर्मी से तपने लगते हैं )
2 - जेठ, हाड़ कुखां
सौन ,भदरू रूख़ाँ
(जेठ और आषाढ़ के महीनों में गर्मी की वजह से घर में अच्छा लगता है ,
जब की सावन और भादों के महीनों में पुरवाई चलने से पेडों के नीचे अच्छ लगता है.)
3 - भदु भदरंग
गोरे ,काले इक्को रंग
(भादों के महीने में गर्मी और उमस से गोरे और काले सब बदरंग हो जाते हैं.)
4 - अस्सु,मा निराला
दिने धुप, ते राति पाला
(आश्विन और माघप्रद के महीनो में दिन में धुप से गर्मी तथा रात में ठण्ड होती है )
5 - वस्से पौ , मा
कौन करे ना
(पौष और माघ के महीनों में पानी बरसता है जो की फसलों के लिए शुभ होता है.)
6 - वस्से चैत, वैसाख
पक्कियां फसलें दा करे नाश
(चैत्र और बैसाख की बरसात पकी फसलों का नाश कर देती है )