Thursday, 10 December 2015

माँ की गोद

शहर के लोगों ने तुझे भड़काया
तू भूल गया, तू कौन है , तू कहाँ से आया
लौट आ बच्चे,  देर अब भी हुई नहीं
माँ की गोद में है जो सुख है , वो कहीं नहीं
(लप्रेक से प्रेरित )

Thursday, 19 November 2015

भूली बिसरी यादें

शहर की उन गलियों से आज भी जब हम गुजरते हैं.
भूली बिसरी यादें आ आ  के हमें सताती हैं
साँसें जो रुक रुक चलती हैं
दबी हुई चिंगारी को हवा दे जाती हैं

Wednesday, 28 October 2015

प्यार की चिंगारी

मेरे  प्यार की चिंगारी से
 जब वो सुलगने लगे
दुनिया  के डर  से
हमसे किनारा कर गए
इल्तिजा है उनसे हमारी
 इक  बार वो तशरीफ़ लाएं
रखी  है जो उनकी अमानत
वो यादों की गठरी
संग अपने ले जाएँ
बहुत जी लिए उनकी यादों के संग
बची जिंदगी उससे खाली  हो जीना चाहते हैं

Tuesday, 22 September 2015

बहुत दिन हुए

चैन से सोने की उम्मीद में
जागते हुए, बहुत दिन हुए
जीवन में एक तूफ़ान सा मचा है
उसमे डूबते उतराते हुए, बहुत दिन हुए
सौंप दी है कश्ती  प्रभु हाथों में तेरे
अभी तक लगी न किनारे,बहुत दिन हुए  

Saturday, 19 September 2015

हाले दिल

रफ्ता रफ्ता रात यूहीं ढलती रही
दिल में तेरी याद की छुरियाँ सी चलती रहीं
दिल में उठे तूफ़ान की
कानों कान न हुई किसी को खबर
सुबह सुर्ख आँखों पर पड़ी जब सबकी नजर
गर्मी और उमस को हमने दोषी बना दिया
हाले  दिल को अपने सबसे छुपा लिया

Monday, 14 September 2015

साँझ

साँझ ढले सुरमई अँधेरे में
साँय साँय हवा जो चलती है
ठिठक ठिठक जाती हूँ मैं
लगता है जैसे तुमने बुलाया
यूँ लगता है जैसे कि तू आया 

Sunday, 13 September 2015

दर्द ,दर्द, दर्द

दर्द ,दर्द, दर्द
दर्द उनकी रग रग  में समाया
दर्द, ये न जाने कहाँ से आया
दर्द से ना जाने क्या रिश्ता नाता
दर्द क्यों हर समय उन्हें सताता
बेबस हैं हम यहाँ
उनका दर्द बाँट नहीं पाते
प्रभु हमारा कर जोड़ वंदन
करते हैं हम करुण क्रंदन
प्रभु आके इस दर्द को बंटा
प्रभु आ के इस दर्द से निजात दिला 

Saturday, 29 August 2015

स्याही

कभी जब मैं  तनहा होती हूँ
मेरी यादों की पिटारी खुलती है
तेरी याद दबे पांव  निकलती है
मेरी धड़कन रुक रुक चलती है
न जाने कौन स्याही से
मेरे दिल पर तेरा नाम लिखा
बरसों बाद भी जस का तस
न मिटा न फीका ही पड़ा 

Saturday, 15 August 2015

तेरी याद

अपनी कठिनाइयों से, जूझती थक जाती थी
अपनी परेशानियों में, डूबती उतराती थी
तेरी याद से मेरे प्रभु, मन को सहारा मिल गया
बुझा दिया था मन मेरा ,खिले कमल सा खिल गया
तूफानों में भटकी नाव को जैसे किनारा मिल गया
तेरी याद से मेरे प्रभु, मन को सहारा मिल गया

Sunday, 9 August 2015

आने वाला कल

आने वाला है कल जो
डरावने मुखौटे पहन
क्यूँ मुझे डरा रहा है
सिहर सिहर जाती हूँ मैं
क्यूँ मुझे सता रहा है
या रब कुछ ऐसा
 करम  कर दे
सोचूँ न उस पल को
 आने वाला है कल जो 

Wednesday, 5 August 2015

हर पल

बीमारी के बाद, जिंदगी के
मायने  सब बदल गए मेरे लिए
प्रभु ने कहा, मेरी बच्ची
जीवन के कुछ साल तुझे बोनस में दिए
अब हर पल को भरपूर जीती हूँ मैं
जीना है अनमोल मेरे लिए
ख़ुशी  ख़ुशी जीती हूँ मैं
बसा के प्रभु को हिये
बीमारी के बाद, जिंदगी के
मायने  सब बदल गए मेरे लिए


Thursday, 30 July 2015

पुरवैया

जब दरख्तों से अठखेलियां
 करती है पुरवैया
काले घनघोर बादलों के सीने में
 चमकती है बिजुरिया
पिया तुम याद आते हो
 बहुत जी को तड़पाते हो 

Tuesday, 28 July 2015

सितम

जब  तेरी यादों ने मुझे सताया
मैंने मन को जैसे तैसे समझाया
हम दोनों बने नहीं इक दूजे के लिए शायद
रब ने हमे न मिलाया ,तो कौन सा सितम ढाया 

Monday, 27 July 2015

दीदारे यार

सुबोह शाम इबादत की
या रब दीदारे यार करा दे  इक बार
वो तो हमे भूल ही गए
रब ने भी सुनी अनसुनी कर दी 

Friday, 17 July 2015

बारिश

देखो जी क्या खूबसूरत समां है
काले बादलों से घिरा आसमाँ है
झमाझम पानी भी बरस रहा है
हुआ मन मेरा मैं हँसूँ, खिलखिलाऊ
बारिश में भीगूँ और खूब नहाऊँ
तभी जैसे कोई बादल सा फटा
मेरे पतिदेव ने आवाज लगाई
अजी  सुनती हो,……
मेरी चाय और पकोड़े कहाँ है
हाय रब्बा  क्या खूबसूरत समां है

Sunday, 12 July 2015

मॉम

मेर छोटे बेटे अखिल ने मुझे
दो चार बार माता रानी कह कर बुलाया
मैंने उसे यूं समझाया
मेरे जिगर के टुकड़े
शरीर से बूढी हूँ मैं पर
हूँ दिल से अभी जवाँ
तुम मुझे मॉम कहा करो
या कहा करो  मुझे माँ 

Sunday, 5 July 2015

डिलीट(delete )

किसी की कही कुछ तीखी तल्ख़ बातें
बन गयी हैं अनचाही यादें
वो वर्षों बाद भी आज
 नश्तर सी चुभती हैं

या रब कुछ ऐसा करम कर दे
जख्मों पर मेरे
 फाया  मरहम का रख दे
मेरी दिल की किताब से
उन यादों को डिलीट(delete ) कर दे 

Monday, 1 June 2015

रिश्ते

रिश्तों की माला को टूटने न देना
टूटे हुए मनकों को फिर से पिरो लेना
कोई ख़ुशी हो या हो खराब तबियत
समझ आती  है तब रिश्तों की अहमियत   

संस्कार

बच्चों से अपने विचारों में,
 मतभेद को  देखकर              
कभी कभी मैं सोचा करती
क्या उन्हें संस्कार मैंने दिए हैं यही
पर अपनी बीमारी के दौरान
यही सोच मेरी बदल गयी
बच्चों ने मेरी बहुत सेवा की
 जिस छोटे को मैं
  लापरवाह समझती थी
  उसने रात रात भर जाग कर
 हॉस्पिटल में ड्यूटी दी
आया समझ में मुझे तभी
 बच्चों को संस्कार देने में
  मैंने कोई गलती की नहीं
  विचारों का मतभेद तो है केवल
  दो पीढ़ियों के सोचने के
  ढंग का अंतर ही                                                    

Sunday, 24 May 2015

पंजाबी मुहावरे

महीनों  और मौसम से सम्बन्धित कुछ पंजाबी मुहावरे जो हमारे बुजुर्गों की देन हैं.......

1 -  जेठ, हाड़
     तप्पन पहाड़
(जेठ और आषाढ़ के महीनों में पहाड़ भी गर्मी से तपने लगते हैं )

2 -  जेठ, हाड़ कुखां
      सौन ,भदरू रूख़ाँ
(जेठ और आषाढ़ के महीनों में गर्मी की वजह से घर में अच्छा लगता है ,
जब की सावन और भादों के महीनों में पुरवाई चलने से पेडों के नीचे अच्छ लगता है.)

3 - भदु भदरंग
    गोरे ,काले इक्को रंग
  (भादों  के महीने में गर्मी और उमस से गोरे  और काले सब बदरंग हो जाते हैं.)

4 - अस्सु,मा निराला
    दिने धुप, ते राति पाला
 (आश्विन और माघप्रद के महीनो में दिन में धुप से गर्मी तथा रात में ठण्ड होती है )

5 - वस्से पौ , मा
     कौन करे ना
 (पौष और माघ के महीनों में पानी बरसता  है जो की फसलों के लिए शुभ होता है.)

6 - वस्से  चैत, वैसाख
    पक्कियां फसलें दा करे नाश
 (चैत्र  और बैसाख की बरसात पकी  फसलों का नाश कर देती है )

Saturday, 16 May 2015

I.C.U.

I.C.U.में बिताये दिनों का साया
अभी तक मेरे दिलो  दिमाग पर है छाया

6 -7 दिनों तक रात दिन मुँह पर 
ऑक्सीजन मास्क चढ़ाया 
नाक में नली लगाकर
 मैंने वहाँ  खाना खाया 
हर समय डॉक्टरों और नर्सों को 
अपने इर्द गिर्द पाया
ये जानते हुए कि  मुझ पर 
है बीमारी का काला साया 
हर अपने ने मुझे जल्दी ही 
स्वस्थ होने का विश्वास दिलाया  

रोज शाम 4 बजे के आस पास 
कान्हा की पालकी आती थी 
दिन भर धीमी आवाज में
कान्हा के भजनो को सुना और गाया
सोते जागते हरदम किसी
शक्ति को अपने साथ पाया
दूसरी दुनिया में जाती मुझको
न जाने कौन वापिस लाया
महसूस की  मैंने वहां पर
उस अपरम्पार की माया

I.C.U.में बिताये दिनों का साया
अभी तक मेरे दिलो  दिमाग पर है छाया 



Wednesday, 6 May 2015

जनम

ईश कृपा और अपनों की
दुआओं और शुभकामनाओं ने
मुझे नया जनम दिया
शुक्रिया ,शुक्रिया
आप सब का शुक्रिया

कान्हा

मैं कान्हा के संग नाची 
ऊपर भागी, नीचे भागी, 
पकड़ पकड़ के नाची 
ता ता थैय्या कर के नाची
ऊपर भागी, नीचे भागी,
मैं कान्हा के संग नाची

Wednesday, 18 February 2015

शरीर की सर्विसिंग

हमारे शरीर की सर्विसिंग जारी है
जारी है भाई जारी हैं

दोनों आँखे नयी बनी
अब कानों की बारी है
हमारे शरीर की सर्विसिंग जारी है
जारी है भाई जारी हैं
किसी ने एक बात कही
हमने दो बार पूछा
उसने तीन बार समझाया
फिर भी समझ नहीं आया
अब कानों में मशीन लगवाने की बारी है
हमारे शरीर की सर्विसिंग जारी है
जारी है भाई जारी हैं
तीन बार पेट कटवा चुके
अब घुटने लगे है दुखने
हे  राम अब क्या घुटनों की रिप्लेसमेंट की बारी  है
 दाँतों का तो आये दिन कल-पुर्जा बदलता है
बालों की भी डेंटिंग, पेंटिंग जारी है
अब और क्या क्या बदलेगा ये राम ही जाने
न जाने अब किस अंग की बारी है
हमारे शरीर की सर्विसिंग जारी है
जारी है भाई जारी हैं

Thursday, 5 February 2015

मौसमे बहार है

मौसमे  बहार है
कभी बादलों ने आँचल फैलाया
कभी गुनगुनी धूप का साया
फूलों की खुशबू से रची बसी
बहे मंद मंद बयार है
मौसमे  बहार है 

Friday, 23 January 2015

सर्द रातों

ठण्ड सर्द रातों में
उकड़ूँ बन रजाई में
दुबकना मुझे भाता है

सुबह सुबह रजाई में
गर्म गर्म चाय मिले
तो इस उम्र में भी
  अपने पतिदेव पर प्यार मुझे आता है ,

Tuesday, 20 January 2015

क्यूँ हमने प्यार किया


 क्यूँ  हमने प्यार किया
प्यार पे ऐतबार किया
बरसों तक तेरा जानम
क्यूँ इन्तेजार किया
छिप छिप  रोये बहुत
नैनों  को बेकार किया
तेरे ही कारण जानम
जीवन दुश्वार किया
 समझ न पाये अब तक
 क्यूँ  हमने प्यार किया 

Saturday, 10 January 2015

सीखा

खुद को मिले जख्मों से
 हमने
सीखा औरों का दर्द बाँटना 

Tuesday, 6 January 2015

शिद्दत

इस ज़माने में जहाँ वक़्त के साथ साथ
 ख़यालात भी बदल जाते हैं
तुम तो शायद सोच भी  नहीं पाते होगे
कि  कितनी शिद्दत से तुम्हे कोई चाहता है
तुम्हारी यादों के सामने
 कितने बेबस और मजबूर हो जाते हैं हम
एक याद तुम्हारी,
  हमारी जान लेने के लिए आज भी काफी है सनम