Monday 28 February 2011

नहीं भूल पाए


पैंतीस चालीस साल पुरानी
 किसी नोटबुक पर लिखी ये पंक्तियाँ
"the day to day contact makes a man near and................
हम आज भी नहीं भूल पाए
किसने लिखी, क्यों लिखी
ये भी नहीं जानते
पर न जाने क्या कशिश है
 इन पंक्तियों में
ये आज भी हमारे दिलो दिमाग पर
पत्थर पर  लकीर की तरह खुदी
क्या है ये सब
हम नहीं जानते
पर हम इन्हे भुला  भी नहीं पाए



Sunday 27 February 2011

यह ही जिंदगी है

..
बहुत अच्छा करते हो यारों
जिंदगी के इन हसीं लम्हों में
जज्बातों को शब्दों में पिरोते हो
गाते, गुनगुनाते,रोते हो
कुछ साल बीत जाने पर
ये जज्बात दर्द बयां करेंगे
कभी इसका दर्द, कभी उसका दर्द
कभी खुद का दर्द
और अगले दस बीस साल बीत जाने पर
उम्र के आखिरी लम्हों का इंतजार
यही जिंदगी है मेरे यार
यह ही जिंदगी है


.